पढाई के लिए रटना जरूरी नहीं हैं, रटकर जो भी हम पड़ते हैं, वह भूल जाते हैं | पढ़ने दे लिए सुनना जरूरी है, जो भी हम सुंनते वह जल्दी याद भी होता है और भूलते भी नहीं हैं हम | इसलिए अगर कोई भी पढ़ना हो तो पहले पैराग्राफ के अनुसार उसे अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर लो | कहीं भी आजकल तो मोबाइल में रिकॉर्ड कर सकते हैं | फिर उसे सुनो जैसे कि गाने सुंनते हैं, और उसे बार बार सुनो, वह स्वतः ही याद हो जाएगा | वह आप किसी को भी बोल कर सुना सकते हैं, या लिख सकते हैं, ऐसी ही सब में करो | रिकॉर्ड करो और सुनो उसको जो याद करना है, फिर देखो कितने जल्दी याद होता है | किताब से पढ़कर कभी भी उस तरह याद नहीं होगा, और फिर बार-बार रिकॉर्ड करने और सुनने से आप को किसी के सामने कोई विषय प्रस्तुत करने मैं भी कोई कठिनाई नहीं होगी | आप उस विषय को आसानी से किसी को समझा सकते हैं, और आपकी आवाज़ की क्वॉलिटी भी निखरती जायेगी | इसलिए पहले के लोग लिखकर नहीं, सुनकर किसी को याद करते थे |
बस इसे अपने मन में नहीं दुहराना है, इसे बस सुनना भी नहीं है | बस जो भी है उसे रिकॉर्ड करके और कान में लगा कर कई बार चला लेना है | भले आप सुनो न सुनो, भले आप का ध्यान कहीं और रहे | और उसे बस बजाते रहिये | और एक दिन वही आपके मुँह से अपने आप निकलेगा और आप उसे लिख सकते हैं | फिर वह जिन्दगी भर भी नहीं भूलेगा| जब भी उसका जिक्र होगा वह खुद-व-खुद निकल आएगा | और इसमें कोई तनाव भी नहीं होगा | की याद करना है | जैसे हम गाना सुनते हैं उसी तरह गाने की जगह आप अपनी आवाज़ में अपना मेटर रिकॉर्ड करके उसे सुनिए और ध्यान मत दीजिये की याद हो रह की नहीं बस उसे बजने दीजिए | नींद आती है तो आने दीजिये और गहरी नींद आने पर उसे बंद कर सो जाइए | और बोरियत होती है होने दीजिये | थोडा-थोडा रिकॉर्ड कर सुनिए | और फिर बड़ा-बाद रिकॉर्ड कर सुनिए | धीरे-धीरे आपकी आवाज़ आपको अच्छी लगने लगेगी | और रिकॉर्ड करने से एक फायदा यह भी है की जिस मेटर को आप सब के सामने नहीं पड़ सकते वह जिझक दूर हो जायेगी | क्यूंकि आप फिर अपनी आवाज़ को और सुंदर रिकॉर्ड करोगे | और किसी भी विषय को मौखिक और लौखिक रूप में प्रकट कर सकोगे | और अपने को भी बढ़िया लगेगा |
source: readerblogs
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