पीसी मुस्तफा केरल के वयनाड गांव के रहने वाले एक कुली के बेटे हैं। इनकी मां कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन वह इन दिनों अपनी कंपनी के करोड़ों रुपए के टर्नओवर के कारण सुर्खियों में हैं। खास बात है कि छठी क्लास में फेल होने के बाद मुस्तफा ने यह कंपनी नौकरी करके कमाए गए पैसों से शुरू की थी। छठी क्लास में फेल होने के बाद मुस्तफा ने कुछ बड़ा करने की ठान ली। उन्होंने दोबारा छठी क्लास की परीक्षा पास की और फिर धीरे-धीरे 12वीं तक ये सिलसिला चलता रहा। 12वीं के बाद मुस्तफा कोझीकोड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (एनआईटी) के इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेने में सफल रहे। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें अमेरिकी मोबाइल कंपनी मोटोरोला में पहली जॉब मिल गई। बेंगलुरु में ज्वॉइन करने के बाद कंपनी ने उन्हें लंबे वक्त के प्रोजेक्ट पर ब्रिटेन भेज दिया। लेकिन, मुस्तफा का मन वहां नहीं लगा।
किराना दुकान पर बैठे-बैठे कैसे आया बिजनेस का आइडिया - कुछ दिनों बाद मुस्तफा नौकरी करने गए दुबई चले गए। यहां उन्होंने सिटी बैंक के टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में नौकरी की। इसके लिए उन्होंने सात साल रियाद और दुबई में बिताए। बाद में वह नौकरी छोड़कर वापस आ गए। इसके बाद उन्होंने आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए किया। पढ़ाई के साथ-साथ मुस्तफा अपने रिश्ते के भाई की किराना दुकान पर बैठते थे। हालांकि, वह दुकान पर केवल वीकेंड में जाया करते थे। दुकान पर बैठकर मुस्तफा ने देखा कि कुछ महिलाएं इडली और डोसा के लिए बैटर खरीदकर ले जाती थीं। यहीं से उन्हें किसी की नौकरी करने की जगह पैकेज्ड फूड के बिजनेस करने का आइडिया आया। पहले की नौकरियों से बचाए 14 लाख रुपए से मुस्तफा इस बिजनस में कूद पड़े। इस काम में उनके रिश्ते के भाइयों ने भी मदद की।
ऐसे पड़ी आईडी फ्रेश कंपनी की नींव -
फोटो- पीसी मुस्तफा की कंपनी के प्रोडक्ट।
इन्होंने मिलकर घोल को तैयार करके पैक करने में मददगार कुछ मशीनों को खरीदा और इस प्रकार आईडी फ्रेश की नींव पड़ी। मुस्तफा कहते हैं कि यह बहुत ही सीधा सा विचार था। हम भारतीय घरों तक बिल्कुल स्वच्छ और अच्छी तरह से पैक किया गया घोल पहुंचाना चाहते थे। काम को शुरू किए हुए कुछ सप्ताह ही बीते थे कि बैंगलोर के एक छोटे से उपनगर में प्रारंभ किया गया उनका यह कारखाना लोगों की नजरों में आने में सफल रहा और उनके इस विचार को मान्यता मिलती दिखी। जल्द ही आईडी फ्रेश ने घर पर ही पकाने लायक नेचुरल भोजन सामग्री उपलब्ध करवाने के इरादे से एक बड़ा कारखाना प्रारंभ किया और इनका इरादा आने वाले समय में इसे एक बड़ी खाद्य कंपनी का रूप देेने का था।
अब कितने लोग काम करते हैं मुस्तफा की कंपनी में -
फोटो- अपनी कंपनी स्टाफ के साथ पीसी मुस्तफा।
मुस्तफा कहते हैं कि हमनें प्रारंभ से ही यह सुनिश्चित किया कि हमारे उत्पादों कि पैकेजिंग और गुणवत्ता उच्च कोटी कि रहे। वैसे भी यह बाजार अपने आप में बहुत ही बड़ा है। आईडी फ्रेश प्रारंभ से ही अपने वितरण चैनल को लेकर भी बिल्कुल निश्चित थे। समूचे बैंगलोर में 65 हजार खुदरा स्टोर हैं जिनमें से करीब 12 हजार के पास रेफ्रीजरेशन की सुविधा उपलब्ध है। उन्हें अपनी पहुंच को विस्तार देते हुए अपने इस उत्पाद को अधिक से अधिक स्टोर्स तक पहुंचाना बहुत आवश्यक था।
कुछ वर्षों के स्थिर विकास के क्रम के बाद इन्होंने निवेश जुटाने और अपनी पहुंच का विस्तार करने का विचार किया। कंपनी ने वर्ष 2014 में हेलियन वेंचर पार्टनर्स से 35 करोड़ रुपए का निवेश पाने में सफलता पाई। उस समय तक कंपनी 600 लोगों की कार्यक्षमता से लैस थी और इनका इरादा इस धन के माध्यम से विस्तार करते हुए और अधिक उत्पादों की पेशकश करने का है। वर्तमान में आईडी फ्रेश सात कारखानों और 8 कार्यालयों के साथ लगभग 1 हजार सदस्यीय टीम द्वारा संचालित की जा रही है। मुस्तफा कहते हैं कि अब हम प्रतिदिन 50 हजार किलो इडली और डोसा का घोल तैयार करते हैं जिनसे 1 मिलियन इडली तैयार की जा सकती हैं।
दक्षिण भारत के हर घर में कैसे बनाई पहचान - आईडी फ्रेश अब घोल के अलावा मालाबार परांठा और विभिन्न किस्मों की चटनियों का निर्माण भी कर रहे हैं जो बहुत ही कम समय में दक्षिण भारत के हर घर में एक जाना-माना नाम बन गया है। इनके उत्पादों में इडली और डोसा के घोल के बाद मालाबार परांठा ही सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस समूची प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए मुस्तफा कहते हैं कि हम घोल को तैयार करके सुबह के पांच बजे से पहले ही सील पैक कर देते हैं और चिलर वैन लोड कर देते हैं। इसके बाद बैंगलोर और आसपास के शहरों के स्टोरों में इनकी आपूर्ति कर दी जाती है। हमनें इनकी बिक्री के लिए हजारों खुदरा स्टोरों के साथ हाथ मिलाया है और दोपहर के दो बजे तक सभी उत्पादों की आपूर्ति इन स्टोरों तक कर दी जाती है।
ऑनलाइन बिक्री से मुस्तफा को फायदा हुआ या नुकसान - यह कंपनी अब एक ऐसे स्तर तक पहुंच चुकी है जहां से ये उत्पाद की संभावित मांग का अनुमान लगा सकते हैं और फिर उसी के आधार पर प्रत्येक स्टोर में स्टॉक कर सकते हैं। यह खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में बहुत ही कम समय में एक मजबूत और टिकाऊ उद्यम के रूप में स्थापित होने वाले ब्रांडों में से एक अनुकरणीय उदाहरण है। कंपनी ने बिग बास्केट और ग्रोफर्स जैसे किराना उपलब्ध करवाने वाले ऑनलाइन पोर्टल्स के साथ भी करार किया है। मुस्तफा कहते हैं कि ये सभी चैनल हमारे उपभोक्ताओं के लिए इस मायने में काफी मददगार हैं कि वे अपनी जरूरत के आधार पर कभी भी हमें ऑर्डर दे सकते हैं, लेकिन कुल मिलाकर बात करें तो अभी भी हमारी बिक्री में ऑनलाइन बिक्री का योगदान बहुत कम है।
मुस्तफा 2020 तक अपनी कंपनी को कितने का बनाना चाहते हैं - वर्तमान में खाद्य वितरण के क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स सामने आ रहे हैं और काफी उल्लेखनीय बाहरी निवेश के बाद हम बाजार में सुधार देखने में सफल हो रहे हैं। इनके भी कई मॉडल सक्रिय हैं जिनमें सीधे रेस्त्रां से वितरण से लेकर इंटरनेट-फस्र्ट किचन इत्यादि शामिल हैं। कुल मिलाकर यह एक बहुत बड़ा बाजार है और कई सारे खिलाडिय़ों के चलते आगे बढऩे के लिए सिर्फ स्थायित्व ही एकमात्र तरीका है। आईडी फ्रेश के लिए आगे का रास्ता बिल्कुल स्पष्ट है और ये अपनी उत्पाद श्रृंखला को बढ़ाते हुए अन्य शहरों में भी विस्तार की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा यह कंपनी मिडिल ईस्ट में अपने उत्पादों की बिक्री के साथ अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी संचालन प्रारंभ कर चुकी है।
मुस्तफा कहते हैं कि हम अपने काम करने के क्षेत्र को लेकर बिल्कुल आश्वस्त हैं और हम हर हाल में अपनी बाजार की अग्रणी वाली स्थिति कायम रखना चाहते हैं। हमारा इरादा वर्ष 2020 तक 1 हजार करोड़ रुपए की कंपनी के रूप में स्वयं को स्थापित करने का है। आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है। आज उनकी कंपनी बेंगलुरु, मैसूर, मेंगलुरू, चेन्नई, मुम्बई, हैदराबाद, पुणे और शारजाह सहित कुल आठ शहरों में अपना प्रोडक्ट बेच रही है। भारत के सात शहरों में 200 गाडियां उनके सामान की डिलिवरी कर रही हैं। कंपनी में एक हजार लोग काम कर रहे हैं, जो हर दिन 10,000 स्टोर्स के संपर्क में रहते हैं।
source - http://www.patrika.com/
No comments:
Post a Comment