Q.1 फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब क्यों तोड़ देते हैं ?
Ans. हमारे कानून में फाँसी की सजा सबसे बड़ी सजा हैं. फांसी की सजा सुनाने के बाद पेन की निब इसलिए तोड़ दी जाती है क्योकिं इस पेन से किसी का जीवन खत्म हुआ है तो इसका कभी दोबारा प्रयोग ना हो. एक कारण ये भी है कि एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके.
Q.2 आखिर सुबह के समय सूर्योदय से पहले ही फांसी क्यो दी जाती हैं ?
Ans. फाँसी देना जेल अधिकारियों के लिए बहुत बड़ा काम होता हैं और इसे सुबह होने से पहले इसलिए निपटा दिया जाता है ताकि दूसरे कैदी और काम प्रभावित ना हो. एक नैतिक कारण ये भी हैं कि जिसको फांसी की सजा सुनाई गई हो उसे पूरा इंतजार कराना भी उचित नही हैं सुबह फांसी देने से उनके घर वालो को भी अंतिम संस्कार के लिए पूरा समय मिल जाता हैं.
Q.3 फांसी देते वक्त कौन-कौन मौजूद रहते हैं ?
Ans. फाँसी देते समय कुछ ही लोग मौजूद रहते हैं इनमें फांसी देते वक्त वहां पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डाॅक्टर मौजूद रहते हैं. इनके बिना फांसी नही दी जा सकती.
Q.4 कितनी देर के लिए फांसी पर लटकाया जाता हैं ?
Ans. फांसी से पहले मुजरिम के चेहरे को काले सूती कपड़े से ढक दिया जाता हैं और 10 मिनट के लिए फांसी पर लटका दिया जाता हैं फिर डाॅक्टर फांसी के फंदे में ही चेकअप करके बताता हैं कि वह मृत है या नहीं उसी के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता हैं.
Q.5 फांसी देने से पहले जल्लाद क्या बोलता हैं ?
Ans. जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो है हुकुम के गुलाम.
Q.6 फांसी से पहले आखिरी इच्छा में जेल प्रशासन क्या क्या दे सकता हैं ?
Ans. आखिरी इच्छा पूछे बगैर किसी को फांसी नही दी जा सकती. कैदी की किसी आखिरी इच्छा में परिजनों से मिलना, कोई खास डिश खाना या कोई धर्म ग्रंथ पढ़ना शामिल होता हैं.
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